चुनाव निर्वाचन आयोग के तरफ से इस बार के वोटिंग आकडे कल शाम में घोषित कर दिए गए अनुमानित आकडे से करीब 4 .3 % अधिक है रविवार की वोटिंग का शुरुआती आंकड़ा कल शाम को 65.32% बताया गया था लेकिन आज इस आंकड़े को संशोधित कर 69.65% किया गया है. वर्ष 2007 के बाद से यह वोटिंग का सबसे कम प्रतिशत है. इसके साथ ही वोटिंग के संभावित (Tentative)और अंतिम आंकड़े (Final voting figures)का अंतर भी काफी अधिक है. सामान्यत: वोटिंग के आंकड़ों में करीब एक फीसदी का ही फर्क होता है.
अरविन्द केजरीवाल की पार्टी आम आदमी पार्टी जिन छेत्रो में मजबूती का ताल ठोकती है उन छेत्रो में आयोग के अनुशार वोटिंग प्रतिशत कम बताया गया है जिन जिन विधान सभा में आम आदमी पार्टी के मौजूदा बिधायक रहे है उन सभी सीटो पर वोटिंग प्रतिसत में कमी आई है तलवंडी साबो, जहां से बलजिंदर कौर मौजूदा विधायक हैं, में वोटिंग का प्रतिशत 86 से गिरकर 83.70% पर आ गया. कोटकापुर में यह 4 फीसदी कम हुआ.
दिरबा, जहां से हरपाल सिंह चीमा चुनाव लड़ मैदान में थे, में यह 4.4% कम हुआ, सुनाम में इसमें 5.4, बरनाला में 6.6, बुधलाडा में 6.2, मेहल कलां में 9.4 और जोगरांव में 9.8% की कमी आई. पंजाब राज्य में वर्ष 2002 में 65.14% वोटिंग हुई थी लेकिन इसके बाद वोटिंग का ग्राफ लगातार बढ़ा था. 2007 में 75.42 %, 2012 में 78.3% और 2017 में 77.36% मतदान हुआ था.
अमृतसर वेस्ट में सबसे कम 55.40% वोटिंग हुई, वहीं मुक्तसर के गिदरवाहा में सबसे अधिक 84.93% वोटिंग दर्ज हुई.
वर्ष 2017 में जब कांग्रेस ने अकाली-बीजेपी सरकार के 10 साल के शासन को खत्म किया था तब वोटिंग का फिगर 77.36% था जो कि 2012 से कम था जब अकाली-बीजेपी दूसरी बार सत्ता में आए थे. इस बार की बात करें तो सत्तारूढ़ कांग्रेस और इसे चुनौती दे रही आम आदमी पार्टी , दोनों अपने पक्ष में हवा होने का दावा कर रहे हैं. एक तरह से अंतिम वोटिंग आंकड़ा इस साल का ट्रेंड बन रहा है. गोवा में शुरुआती आंकड़ा 75.29 बताया गया था जो करीब चार फीसदी के फर्क के साथ आज बढ़कर 79.16% पर पहुंच गया. उत्तराखंड में शुरुआती वोटिंग आंकड़ा 59.37% बताया गया था जो बाद में 64.29% कर दिया गया.